Add To collaction

मां और मायका




मां और मायका

मां की परछाई होकर भी मायका
मां से जुदा हो जाती है
जब बेटियां ब्याह कर
अपने ससुराल चली जाती है।
अब सारा घर सुना लगता है मायका का
तरस गई है आंखें, एक झलक पाने को
खिलाखिकर हंसना, सीने से लगाना
मायके में आज भी याद आती है मां।
धरती पर भगवान का रूप है मां
परिवार में ईश्वर का प्रतिरूप है मां
रिश्तों में परम रिश्तें का नाप है मां
स्वर्ग से भी सुंदर सज्जनों
बंधन के पवित्र रूप रेखा है मां।
न मिलती है बाजार में
न रहती है मंदिर में
बसती है वो,सबके दिलों में
और रहती है वो घर परिवार में।
मां ममता की मूरत है
सागर की गहराई है मां
गंगा जैसा पवित्र पावन
रिश्तों में सर्वोपरि है मां।
मां की परछाई होकर भी मायका
मां से जुदा हो जाती है
जब बेटियां  ब्याह कर
अपने ससुराल चली जाती है।

नूतन लाल साहू




   11
2 Comments

बहुत सुन्दर

Reply

Haaya meer

26-May-2023 09:34 AM

Nice

Reply